बीरबल अकबर बादशाह की महल में नवरत्नों में एक ता। बीरबल की पहली नाम महेश दास ता। लेकिन महेश दास कैसे महाराज बीरबल बने ? हम आज इस अकबर बीरबल की कहानी में जानेंगे युवक महेश दास कैसे बना महाराज बीरबल।

एक समय की बात हे। बादशाह अकबर अपनी मंत्रियो की टोलि के सात शिखर पर निकले ते। अब काफी दिन बीत चुके ते। और उन अब तक कोई शिखर नहीं मिला ता।
अकबर – हम जंगल के बीचो बीच पहुँच गए हे। लेकिन हमें अभी तक एक बी शिखर नहीं मिला। शेरखान तुमने तो कहा ता ए जंगल शिखर से बारे पड़ा हे। लेकिन ऐसा लगता तो नहीं हे।
शेरखान – म म म में माफ़ी चाहता हु बादशाह, लेकिन पिछली बार
अकबर – में अपने महल वापस जाना चाहता हु। इसी वक़्त; में तुमसे आगरा में बात करूँगा।
नाराज़ बादशाह अकबर आगरा लौटने के लिए निकल पड़े। पर जल्दी वो रास्ता बटक चुके ते।
अकबर – हमें कोनसे रास्ते से चलना चाहिए जिसे हम आगरा जल्दी पहुँच सके।
मंत्री 1 – पहलेवाला बादशाह
मंत्री 2 – दूसरेवाला बादशाह। ये तोडा ज्यादा पहचान वाला लगता हे।
अकबर – और तुम क्या कहते हो शेरखान।
शेरखान – म म म म म म मेरे बादशाह।
बादशाह अकबर ने देखा की एक युवक उसी जंगल से गुजर रहा ता।
अकबर – ज़रा रुको नौजवान; हमें बता सकते हो इनमे से कोनसा रास्ता आगरा को जाता हे।
युवक – श्रीमान इनमे से कोई बी रास्ता आगरा नहीं जाता
अकबर – तुम कहना क्या चाहते हो युवक।
युवक – लोग जाते हे। रास्ते नहीं।
सब लोग हसने लगे बादशाह के सात
अकबर – हां तुमने सही कहा। बतावो मुझे तुम्हारा नाम क्या हे?
युवक – मेरा नाम महेश दास हे श्रीमान। अब आप मुझे अपने बारे में बताईये। आप कौन हे? और आपका नाम क्या हे?
अकबर – तुम बादशाह अकबर से बात कर रहे हो। पूरे हिन्दुस्तान का बादशाह। मेरे दरबार में मुझे तुम जैसे बुद्दिमान और हसमुख लोगो की ही जरूरत हे। अगर तुम मेरे शाही दरबार में शामिल होना चाहते हो तो इस अंगूठी को लेकर मेरे पास आना और में तुम तुरंत पहचान लूंगा। अब हमें आगरा जाने का रास्ता बतावो। हम सभी बहुत तक चुके हे और सूरज छिपने से पहले हमें आगरा पहुँच न हे।
महेश घास ने बादशाह अकबर को आगरा जाने का सही रास्ता बताया। अकबर बादशाह आगरा निकल पड़े। कही साल बाद जब महेश दास जंगल के उसी ओर से गुजर रहे ते उन बादशा अकबर की बाते याद आयी।
महेश दास बादशाह अकबर की किले में पहुंचे। और उन्होंने सिपाई से कहा।
महेश दास – में बादशाह से मिलना चाहता हु।
सिपाई – रुको। पहले मुझे अंदर पूछने दो।
सिपाई अनुमति लेने दरबार में गया और फिर लौटा
सिपाई – अब तुम अंदर जा सकते हो।
महेश दास पहली बार बादशाह अकबर के दरबार में आए ते।
अकबर – तुम्हारा नाम क्या हे ? क्या हम एक दूसरे को जानते हे ?
महेश दास – मेरे बादशाह। में महेश दास हु।
अकबर – मैंने ये नाम सुनते हे। लेकिन कुछ याद नहीं आ रहा।
महेश दास ने बादशाह को ऊनि की दिए हुयी अंगूठी दिखाई।
अकबर – हां महेश में तुम पहचान गया। मुझे तुम्हारा मजाक बहुत अच्छा लगा ता। लेकिन में तुम्हारा इम्तेहान लेना चाहूंगा। ये जाँचनेकेलिए की क्या तुम वही आदमी हो या कोई और ? मेरे दरबार के पांच दरबारी तुमसे एक एक सवाल पूछेंगे। देकते हे तुम उने क्या जवाब देते हो।
बादशाह के ये फरमान सुनकर उनके मंत्रियो ने सवाल पूछने शुरू किये।
मंत्री 1 – ऐसे पडोसियोंके बारे में बतावो जो एक दूसरे को डेक नहीं सकते हे ?
महेश दास – आंखे इसका उत्तर आंखे हे मेरे दोस्त।
मंत्री 2 – एक ऐसे दुश्मन का नाम बतावो जिसे हराया नहीं जा सकता।
महेश दास – मौत। मृत्यु
मंत्री 3 – ऐसा क्या हे जो मौत के बाद बी ज़िंदा रहता हे।
महेश दास – गर्व। महिमा
मंत्री 4 ने जमीन पे एक रेखा लिखा और महेश दास से पुछा।
मंत्री 4 – इस रेखा को बिना मिटाये छोटा करो।
महेश दास ने उसके बगल में और एक बड़ा रेखा लिकड़िया तो पहलेवाला रेखा छोटा दिकने लगा सभी लोग महेश दास की बुद्दिमान पे चौकित हुवे।
महेश दास – आपकी रेखा बिना मिटाये छोटा होगया अब।
मंत्री 5 – कुछ ऐसा बतावो जिसे न तो चाँद डेक सकता हे और न ही सूरज
महेश दास – अंदकार। अँधेरा
और इसके बाद बादशाह अकबर बोले।
अकबर – अब मेरी बारी हे। तुमसे सवाल पूछने की। आगरा की गलियों में कितने मोड़ हे ?
महेश दास – 2 मेरे बादशाह सिर्फ 2 मोड़ हे। एक हे बाए और एक दाए
अकबर बादशाह कुश हुवा महेश दास की इन सारे उत्तर से और कहा
अकबर – आज से तुम मेरे नवरत्नों में से एक होंगे। और तुम महाराज बीरबल के नाम से जाना जायेगा।
सभी लोग जयघोष पुकारने लगे । महाराज बीरबल की जय हो। महाराज बीरबल की जय हो। महाराज बीरबल की जय हो।
ऐसे बने हमारे महेश दास महाराज बीरबल। आगे महाराज बीरबल और अकबर बादशाह अच्छे मित्र बनगए।